शहर से आकर बंजर ज़मीन पर बनाया मिट्टी का घर, उगा दिया फूड फॉरेस्ट

कहानी है बेंगलुरु के पुष्पा और किशन कल्याणपुर की, जिन्होंने न केवल एक बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाया, बल्कि उसे एक हरियाली से भरे फूड फॉरेस्ट में बदल दिया। उनकी यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि अगर दिल में जज्बा हो, तो किसी भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है।

कौन हैं पुष्पा और किशन कल्याणपुर?

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पेशे से मेकअप आर्टिस्ट पुष्पा और उनके पति किशन को हमेशा प्रकृति के करीब रहना पसंद था। उन्होंने शहर की भागदौड़ से दूर जाकर एक सस्टेनेबल जीवन जीने का सपना देखा।

कैसे खरीदी बंजर ज़मीन?

कोरोना महामारी के दौरान, उन्होंने आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले में 13,900 स्क्वायर फीट की बंजर ज़मीन खरीदी। यह ज़मीन बरसों से उपजाऊ नहीं थी।

बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाने का सफर

बंजर ज़मीन को हरियाली में बदलना आसान नहीं था। इसके लिए इस कपल ने प्राकृतिक और जैविक तरीकों का सहारा लिया।

प्राकृतिक और जैविक तरीके अपनाए

पुष्पा और किशन ने नाइट्रोजन-फिक्सिंग प्लांट लगाए, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करते हैं।

कंपोस्ट और जैविक खाद की भूमिका

उन्होंने जैविक खाद और घर के कचरे से बने कंपोस्ट का इस्तेमाल किया। तीन महीने की कड़ी मेहनत के बाद, ज़मीन उपजाऊ हो गई।

वृक्षावनम – एक अनोखा फूड फॉरेस्ट

आज उनकी ज़मीन पर 163 से ज्यादा पेड़-पौधे लहलहा रहे हैं।

फल, सब्जियां और औषधीय पौधे

यह फूड फॉरेस्ट उनके परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करता है। यहाँ आम, पपीता, हल्दी, और तुलसी जैसे पौधे हैं।

इको-फ्रेंडली मिट्टी का घर – शम्भाला माने

पुष्पा और किशन का सपना था कि वे एक मिट्टी के घर में रहें।

डिज़ाइन और आर्किटेक्ट के सामने आई चुनौतियां

घर बनाने में उन्हें कई बार आर्किटेक्ट बदलने पड़े।

परिवार ने खुद बनाई दीवारें

आखिरकार, उन्होंने खुद अपनी दीवारें बनाईं और यह सस्टेनेबल घर तैयार किया।

सस्टेनेबल जीवन की प्रेरणा

इस प्रोजेक्ट से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला, बल्कि यह दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया।

कठिनाइयों और सीख का सफर

हर सफलता के पीछे मेहनत और सीख छिपी होती है।

निष्कर्ष

पुष्पा और किशन की कहानी यह साबित करती है कि छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव संभव हैं।


FAQs

  1. वृक्षावनम क्या है?
    यह एक फूड फॉरेस्ट है जिसमें फल, सब्जियां और औषधीय पौधे उगाए जाते हैं।
  2. इसे बनाने में कितना समय और मेहनत लगी?
    इसे तैयार करने में तीन महीने लगे।
  3. ऑर्गेनिक फार्मिंग के फायदे क्या हैं?
    यह पर्यावरण के लिए अनुकूल और सेहत के लिए फायदेमंद है।
  4. क्या मिट्टी का घर बनाने में कोई चुनौती रही?
    हाँ, डिज़ाइन और निर्माण के दौरान कई चुनौतियां आईं।
  5. क्या आम लोग भी ऐसा प्रोजेक्ट कर सकते हैं?
    बिल्कुल! सही योजना और मेहनत से यह संभव है।

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