लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाली मुजफ्फरनगर की क्रांतिकारी शालू सैनी

मुजफ्फरनगर की 37 वर्षीय शालू सैनी ने अपने नेक काम से शहर में एक मिसाल कायम की है। कोरोना के दौरान उन्होंने सैकड़ों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया और तब से यह उनके जीवन का उद्देश्य बन गया है। शालू सैनी का NGO, साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए भी काम करता है। अब तक वह 500 से अधिक लावारिस लोगों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। उनके इस निःस्वार्थ कार्य के लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।