बेटी हुई तो मां ने फेरा मुंह, चंदा लेकर पढ़ाई की

महाराष्ट्र की आईएएस अधिकारी संजीता महापात्रा ने हाल ही में अपने जीवन के संघर्षों के बारे में बताया। उनका जन्म ओडिशा के राउरकेला में एक गरीब परिवार में हुआ। जब वह पैदा हुईं, तो उनकी मां निराश हो गईं, क्योंकि परिवार को बेटे की उम्मीद थी। बेटी होने पर उन्हें परिवार से भी उपेक्षा झेलनी पड़ी। लेकिन उनकी बड़ी बहन के आग्रह पर माता-पिता ने उन्हें अपने पास रखा।

चंदा लेकर पूरी की पढ़ाई

संजीता का बचपन आर्थिक तंगी से भरा था। पढ़ाई का खर्च उठाना मुश्किल था, इसलिए उन्हें सामाजिक संगठनों, शिक्षकों और छात्रवृत्तियों का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने 12वीं पास करने के बाद जेईई एंट्रेंस परीक्षा पास की और आईआईटी कानपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।

आईआईटी कानपुर से पढ़ाई और नौकरी

मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी मिली। इसी दौरान उन्होंने अपने माता-पिता को गांव में घर बनाने में मदद की। इस बीच, शादी का दबाव भी आया। शादी के बाद उनके पति बिस्व रंजन मुंडारी, जो बैंक मैनेजर हैं, ने उनका हर कदम पर साथ दिया।

यूपीएससी के लिए संघर्ष

नौकरी के साथ-साथ संजीता ने इंटरनेट की मदद से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। शुरुआती प्रयासों में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने ओडिशा लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और दूसरी रैंक हासिल की। हालांकि उनका सपना यूपीएससी क्लियर करना था। उन्होंने नौकरी छोड़कर बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी से तैयारी की और 2019 में यूपीएससी में 10वीं रैंक हासिल की।

बचपन से आईएएस बनने का सपना

संजीता बताती हैं कि आईएएस बनना उनका बचपन का सपना था। अपने पति की प्रेरणा और समर्थन से उन्होंने आखिरकार इसे पूरा किया।

अमरावती में पोस्टिंग

संजीता महापात्रा फिलहाल अमरावती जिला परिषद की सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। वह महिलाओं को सशक्त बनाने और जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इसके अलावा, वह स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के लिए एक अलग बाजार तैयार करने की दिशा में भी काम कर रही हैं।

संजीता महापात्रा की कहानी इस बात का सबूत है कि अगर हिम्मत और मेहनत हो, तो मुश्किल हालात भी सपनों को रोक नहीं सकते।