मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद पति ने खोलीं आंखें तो.. Missing Wife Found in Same Hospital

उत्तर प्रदेश के उन्नाव (Unnao, Uttar Pradesh) में एक ऐसी घटना हुई है, जो सुनने में फिल्मी कहानी (filmy story) लगती है, लेकिन यह सच है। राकेश कुमार (Rakesh Kumar), जिन्होंने मोतियाबिंद (cataract) का ऑपरेशन करवाया था, जब उनकी आंखों की पट्टी (bandage) खुली, तो उन्होंने अपने बगल के बेड पर 22 दिनों से लापता (missing) पत्नी को पाया। यह कहानी न सिर्फ भावुक (emotional) कर देने वाली है, बल्कि यह संयोग (coincidence) और भाग्य (destiny) की अद्भुत मिसाल भी है।

22 दिनों तक पत्नी की तलाश

राकेश कुमार (50) उन्नाव के केवटा तालाब बस्ती (Kevta Talab Basti) के रहने वाले हैं। उनकी पत्नी शांति देवी (42) 13 जनवरी को अचानक घर से गायब हो गईं। राकेश ने उन्हें ढूंढने के लिए उन्नाव, कानपुर, लखनऊ और कन्नौज तक का सफर तय किया, लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं मिला। थक-हारकर उन्होंने 16 जनवरी को कोतवाली (police station) में गुमशुदगी (missing complaint) की रिपोर्ट दर्ज करवाई।

राकेश वेल्डिंग (welding) का काम करते हैं और उनके घर में पत्नी के अलावा कोई नहीं है। पत्नी के गायब होने के बाद वह न तो काम पर गए और न ही घर लौटे। वह अपने दोस्त के यहां रहने लगे और पत्नी की तलाश में लगे रहे।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन और अद्भुत संयोग

इसी बीच, राकेश की आंखों में दिक्कत (eye problem) होने पर उन्होंने 6 फरवरी को अस्पताल (hospital) में चेकअप (check-up) कराया। डॉक्टरों ने उन्हें मोतियाबिंद का ऑपरेशन (cataract surgery) कराने की सलाह दी। 7 फरवरी को ऑपरेशन के बाद राकेश को डॉक्टरों की निगरानी (observation) में रखा गया।

जब राकेश की आंखों की पट्टी खोली गई, तो उन्होंने अपने बगल के बेड पर एक महिला मरीज को देखा, जो पानी मांग रही थी। महिला की आवाज (voice) सुनकर राकेश चौंक गए। जब उन्होंने करीब से देखा, तो पाया कि वह महिला कोई और नहीं, बल्कि उनकी 22 दिनों से लापता पत्नी शांति देवी थीं।

पत्नी की याददाश्त चली गई थी

राकेश ने जब पत्नी को पहचाना, तो वह भावुक (emotional) हो गए और उनकी आंखों से आंसू (tears) बह निकले। हालांकि, शांति देवी सिर में गंभीर चोट (head injury) की वजह से अपने पति को पहचान नहीं पाईं। डॉक्टरों के मुताबिक, चोट की वजह से उनकी याददाश्त (memory) चली गई थी।

राकेश ने तुरंत पत्नी की सेवा (care) शुरू कर दी। वह दिन-रात उनके साथ रहने लगे, ताकि उनकी याददाश्त वापस आ सके। धीरे-धीरे शांति देवी की हालत में सुधार (improvement) होने लगा, और वह अपने पति को पहचानने लगीं।

अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया

अस्पताल प्रशासन (hospital administration) ने इस घटना को एक अद्भुत संयोग (amazing coincidence) बताया। डॉक्टरों के मुताबिक, शांति देवी को सड़क दुर्घटना (road accident) के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके सिर में गंभीर चोट थी, जिसकी वजह से वह अपनी पहचान (identity) नहीं बता पा रही थीं।

निवेशकों के लिए सीख

राकेश और शांति देवी की यह कहानी हमें यह सीख देती है कि जीवन में कभी हार (defeat) नहीं माननी चाहिए। अगर आप भी किसी मुश्किल (difficulty) से जूझ रहे हैं, तो Indiamart और Amazon जैसे प्लेटफॉर्म्स (platforms) से जरूरी सामान (essentials) और टूल्स (tools) खरीद सकते हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।

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राकेश और शांति देवी की यह कहानी न सिर्फ भावुक (emotional) कर देने वाली है, बल्कि यह संयोग (coincidence) और भाग्य (destiny) की अद्भुत मिसाल भी है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि किसी न किसी रूप में भगवान (God) हमारी मदद करते हैं।