सब्जियां बेचकर, क़र्ज़ लेकर देश के लिए जीता गोल्ड मेडल ✌️- Tarun Sharma Para Karate Champion

जीवन परिचय

लुधियाना के रहने वाले तरुण शर्मा को ६ महीने की उम्र में पैरालायसिस अटैक आया था और वह कम उम्र में ही भयानक बीमारी का शिकार हो गए थे और काफी डॉक्टर ने कह दिया था वह अपने पैरो पर कभी खड़े नहीं हो सकते है और स्कूल के सभी बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे आज वही तरुण डिसेबिलिटी का शिकार होते हुए भी इंटरनेशनल कार्राटे का चैंपियन बन गया है

प्राम्भिक जीवन

तरुण शर्मा का जन्म लुधियाना में हुआ था और वो गरीब घर के थे उनके घर की स्थिती अच्छी नहीं थी उनके पिताजी सब्जी बेचकर घर को चलाते थे और अपने परिवार का पालन पोषण करते थे और तरुण शर्मा बचपन से ही पैरालिसिस का शिकार थे तरुण शर्मा बचपन से ही चैंपियन बनना चाहते थे

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कर्राटे चैंपियन का सफर- Tarun Sharma Para Karate Champion

कर्राटे चैंपियन की बड़ी कठिनाई से गुजरा था इस सफर में उन्होंने बचपन से मेहनत करके ३ साल की उम्र में उन्होंने कर्राटे सिखने लगे और और वो भी छोटे मोटे काम करके अपने खर्चा निकालता था और १३ साल की उम्र में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट लेवल का पहला टूर्नामेंट जीता और आगे बड़े और पुरे भारत का नाम रोशन किया

कठिनाई और चुनौतियां

देश का नाम रोशन करने वाले सब्जी बेचकर घर को चलाते थे स्कूल के दिनों में तरुण छोटे मोटे काम करके अपने डाइट और तैयारी का खर्चा निकालते थे और तरुण को खेल का खर्चा उठाने के लिए तरुण को कर्जा लेना पड़ा और और अपना घर गिरवी रखना पढ़ा पिता मृत्यु के बाद उसके ऊपर सारी आ गयी इस तरह से वह सब्जी बेचकर देश के लिए खेल जारी रखा

मुश्किलात का सामना

तरुण शर्मा को काफी मुश्किलात का सामना करना पड़ा और उनके साथ के सहपाठी उनका काफी मजाक बनाते थे और इन सब को नजर अंदाज करते हुए वे अपने खेल को जारी रखे थे और काफी संघर्ष के बाद सफलता हासिल की और तरुण पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो गए थे

यक्तिगत जीवन में बदलाव

कर्राटे चैंपियन तरुण शर्मा को मिल गयी सरकारी नौकरी तरुण शर्मा वह मिसाल बन गए है की संघर्ष करने वालो की कभी हार नहीं होती है और तरुण शर्मा के द्वारा काफी पैरालिसिस बच्चो को सिख मिली है कोशिश करने वालो की हार नहीं होती हैं

सफलता की सीढ़ी

५० से ज्यादा मैडल जीता १७ चैंपियन के साथ १५ देशो में भारत का प्रोत्साहन मिल चुका है और वह सब्जी बेचकर भी सफलता प्राप्त की पंजाब में सरकार ने होनहार खिलाड़ी को कौंसिल खन्ना में ही क्लर्क का पद में सरकारी नौकरी नियुक्त किया था

निष्कर्ष

तरुण शर्मा ने सब्जी बेचकर और कर्ज लेकर देश के लिए गोल्ड मैडल जीता उनका घर तक बिका पर उन्होंने सब्जी बेचीं सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की और दो बार पैरालिसिस अटैक के बाद भी वह वतन के खातिर खेलते रहे गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने सब्जी तक बेचीं नौकरी का नियुक्त मिलते ही तरुण शर्मा ख़ुशी से रोने लगे तरुण शर्मा को भारत के सबसे बड़े आयोजनों में सम्मान दिलाया गया और गरीब बच्चों के लिए एक अकाडेमी चलाते है