स्वच्छता के सच्चे हीरो: स्वच्छता वाले भैया, बाइक में घूमकर करते हैं गांव साफ

Introduction-Inspiring Indians Swachta Wale Bhaiya Vishnu Bhartesh

क्या आपको नहीं लगता कि हमारे आसपास की सफाई के लिए सिर्फ सरकार या सफाईकर्मी ही जिम्मेदार नहीं हैं? असल में, यह जिम्मेदारी हम सभी की है। लेकिन हममें से बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो इस जिम्मेदारी को समझते और निभाते हैं। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक व्यक्ति की, जो अपने दम पर सफाई की अलख जगा रहे हैं—राजस्थान के विष्णु भारतेश, जिन्हें लोग प्यार से “स्वच्छता वाले भैया” कहते हैं। स्वच्छता वाले भैया कुछ दिन पहले सऊदी अरब से आये थे. उन्होंने देखा की वहां बहुत साफ सफाई रहती है। तो उन्होंने भी संकल्प लिया के वो भी अपने गाओं और आस पास के चित्रों की साफ़ सफाई करेंगे।

गांव का हाल

गांव का हाल इतना बुरा था की लोग कूड़ा करकट जगह जगह फेक देते थे। विष्णु यह देखकर बहुत दुखी हुए। वो चाहते थे देश का हर एक नागरिक सफाई की और ध्यान दे। उनका मानना है की हमारे आस-पास सफाई रखने के लिए सरकार या कोई सफाई कर्मचारी नहीं बल्कि हम खुद जिम्मेदार हैं। लेकिन हममें से कम ही लोग होंगे जो अपने आस-पास की सफाई की जिम्मेदारी उठाते हैं। ये हर नागरिक का कर्तव्य है।
विष्णु भारतेश ने अब तक हजारों गांवों को अपनी बाइक पर घूम-घूमकर साफ किया है। उनकी बाइक पर हमेशा एक डस्टबिन और सफाई का सामान रहता है, जिससे वह जहां जाते हैं, वहां की सार्वजनिक जगहों की सफाई करते हैं।

सफाई का मिशन

यह सफाई का जुनून विष्णु में तब आया, जब उन्होंने सऊदी अरब की साफ-सुथरी सड़कों और जगहों को देखा। उन्हें लगा कि अगर वहां इतनी सफाई हो सकती है, तो भारत में क्यों नहीं? उसी दिन उन्होंने ठान लिया कि वह अपने देश को भी स्वच्छ बनाएंगे।
सऊदी से लौटते ही, विष्णु ने अपनी सफाई की मुहिम शुरू कर दी। विष्णु ने तय किया की हर एक नागरिक को सफाई के स्वच्छता अभियान का भागीदार बनाना है। उन्होंने गाओं गाओं घूम कर लोगों को जागरूक करना शुरू किया।
पेशे से दर्जी भारतेश ने अपनी कपड़ों की दुकान से समय निकालकर गांव-गांव जाकर ‘स्वच्छ भारत क्रांति’ की शुरुआत की। वह न केवल कचरा उठाते हैं, बल्कि लोगों को जागरूक भी करते हैं—प्लास्टिक कचरा न फैलाने और डस्टबिन व शौचालय का सही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

बाइक पर सफाई का अभियान

लेकिन यह सफर आसान नहीं था। शुरुआती दिनों में, लोग उन्हें कचरा बीनते हुए देख पागल समझते थे। खुद उनके परिवार ने भी उनके इस काम का विरोध किया। पर विष्णु का जुनून और उनका संकल्प अटूट था। उन्होंने लोगों की परवाह किए बिना सफाई करना जारी रखा। उन्होंने अपनी बाइक पर साफ़ सफाई का सामान बंधा और बस निकल गए। धीरे-धीरे, जब लोग उनके काम का असर देखने लगे, तो वही पागल लोगों का हीरो बन गया।

सामूहिक प्रयास

विष्णु भारतेश ने पिछले नौ सालों से रोज़ाना बिना थके, बिना रुके, यह सफाई अभियान जारी रखा है। उनकी इस निस्वार्थ सेवा ने उन्हें न केवल उनके गांवों का हीरो बना दिया है, बल्कि वह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं। विष्णु की मेहनत रंग लायी। लोग धीरे धीरे अपने आस पास की सफाई की ओर ध्यान देने लगे और इस अभियान से काफी लोग जागरूक हुए। अब हर जगह आस पास सफाई रहने लगी है ओर लोग भी इससे काफी खुश हैं।

परिणाम

लोग अब धीरे धीरे जागरूक होने लगे हैं ओर अपने गांव को साफ सुथरा रखने लगे हैं। अब वह कचरा फेकने के बजाय, कूड़े करकट को उचित तरह से निपटा देते है। अपने देश को साफ-सुथरा बनाने के लिए राजस्थान के विष्णु भारतेश बन गए ‘स्वच्छता वाले भैया’ और गांव-गांव घूमकर शुरू कर दी ‘स्वच्छ भारत क्रांति’!

निष्कर्ष

स्वच्छता वाले भैया की कहानी हमें यह सिखाती है कि बदलाव की शुरुआत हम खुद से कर सकते हैं। अगर हम ठान लें, तो हमारे छोटे-छोटे कदम भी एक बड़ी क्रांति का हिस्सा बन सकते हैं। विष्णु का मानना है की इंसान मेहनत से सफल हो सकता है और बदलाव भी ला सकता है। स्वच्छता सिर्फ एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी है। यदि हम सब मिलकर प्रयास करें, तो अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बना सकते हैं।
विष्णु के इस सामाजिक कार्य को, द ग्रेट इंडिया सलाम करता है।