साइकिल से पूरे भारत की यात्रा करने वाले Bhibas Nayak ने कोप्पल में दो महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी।

Bhibas Nayak, जिन्होंने साइकिल से पूरे भारत की यात्रा की, ने कर्नाटक के कोप्पल में दो महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी। उनकी वीरता और साहस की यह कहानी हर किसी को प्रेरित करती है। बिभास नायक एक सच्चे नायक थे, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता।

बिभास नायक की वीरता

6 मार्च की रात, हम्पी के पास सनापुर गांव में दो विदेशी महिलाओं को यौन हमले से बचाने के लिए बिभास नायक ने अपनी जान की बाजी लगा दी। 29 वर्षीय बिभास दिल्ली के सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल में एचआर मैनेजर थे। उन्होंने तीन हमलावरों का सामना किया और महिलाओं को बचाने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उन्हें नहर में फेंक दिया। बिभास का शरीर अगले दिन मिला।

बिभास का जीवन और शौक

बिभास मूल रूप से ओडिशा के कंधमाल जिले के डेराबडी गांव के रहने वाले थे। उनके पिता बीके नायक आगरा डायोसिस के बिशप और चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) सिनॉड के मॉडरेटर हैं। बिभास ने भुवनेश्वर के स्टीवर्ट स्कूल से पढ़ाई की और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बीबीए किया। उन्होंने मुंबई से एमबीए की डिग्री भी हासिल की।

बिभास को यात्रा का बहुत शौक था। वह अपनी साइकिल से कई राज्यों में घूम चुके थे। उनकी यात्रा ने उन्हें एक साहसी और दयालु इंसान बनाया।

घटना का विवरण

बिभास कर्नाटक की यात्रा पर थे और हम्पी में उनकी मुलाकात उन महिलाओं से हुई जिन पर हमला हुआ। घटना वाली रात, बिभास और चार अन्य लोग नहर के पास तारे देख रहे थे। इनमें एक महिला इजराइल से, एक पुरुष अमेरिका से और एक महाराष्ट्र से थे। इनके साथ होमस्टे की मालकिन भी थीं।

तीन लोगों ने जब महिलाओं पर हमला किया, तो बिभास बीच में आ गए। हमलावरों ने बिभास पर काबू पा लिया और उन्हें पानी में फेंक दिया। उनके दो साथी भागने में कामयाब रहे, लेकिन बिभास डूब गए।

परिवार और समुदाय की प्रतिक्रिया

बिभास की मौत से परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को गहरा सदमा लगा है। उनके चचेरे भाई फिरोज प्रधान ने कहा, ‘हम सब सदमे में हैं। हमें कर्नाटक पुलिस की जांच की प्रगति के बारे में जानकारी नहीं है। हमें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा।’

रविवार को कंधमाल के जी. उदयगिरी शहर में बिभास का अंतिम संस्कार किया गया। परिवार और समुदाय के लोग शोक में शामिल हुए। उनके बहनोई आकाश पॉल ने कहा, ‘हम बस यही प्रार्थना कर सकते हैं कि ऐसा अपराध फिर कभी न हो।’

बिभास की विरासत

बिभास नायक की वीरता और साहस की यह कहानी हर किसी को प्रेरित करती है। उन्होंने न केवल दो महिलाओं की जान बचाई, बल्कि समाज को यह संदेश दिया कि हर किसी को अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।