दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक बड़ा शिक्षा घोटाला उजागर हुआ है। यह घोटाला दिल्ली स्किल यूनिवर्सिटी के नाम पर किए गए फर्जीवाड़े से जुड़ा है, जिसने न केवल छात्रों और शिक्षकों की जिंदगी को प्रभावित किया है, बल्कि दिल्ली के शिक्षा तंत्र को भी बर्बाद कर दिया है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
स्किल यूनिवर्सिटी का वादा
15 अक्टूबर 2019 को अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि दिल्ली में एक स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित की जाएगी। इस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य छात्रों को नए-नए टेक्निकल स्किल सिखाना और उन्हें सीधे मार्केट से जोड़ना था। मनीष सिसोदिया ने भी इस प्रोजेक्ट को जस्टिफाई करते हुए कहा कि वह फिनलैंड, स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों से प्रेरित होकर यह यूनिवर्सिटी लेकर आए हैं।
पॉलिटेक्निक संस्थानों का विलय
इस यूनिवर्सिटी के नाम पर दिल्ली के सभी पॉलिटेक्निक संस्थानों को मर्ज कर दिया गया। पहले ये संस्थान छात्रों को कम फीस में टेक्निकल एजुकेशन प्रदान करते थे और उन्हें नौकरियां भी मिलती थीं। लेकिन स्किल यूनिवर्सिटी बनने के बाद फीस बढ़कर 70,000 रुपये तक पहुंच गई, जिससे गरीब छात्रों के लिए पढ़ाई करना मुश्किल हो गया।
शिक्षकों की दुर्दशा
इस यूनिवर्सिटी के नाम पर करीब 500 गजटेड शिक्षकों और 150 नॉन-गजटेड स्टाफ की नौकरियां खतरे में पड़ गईं। इन शिक्षकों को यूपीएससी के माध्यम से चयनित किया गया था, लेकिन अब उनकी सैलरी, एलटीसी और मेडिकल बेनिफिट्स पर भी संकट मंडरा रहा है। कई शिक्षकों ने बताया कि उनकी सैलरी समय पर नहीं आती और उन्हें एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज भागकर पढ़ाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
छात्रों पर प्रभाव
पॉलिटेक्निक संस्थानों के विलय के बाद छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। पहले जहां 6,000 रुपये की फीस में छात्र पढ़ाई करते थे, अब उन्हें 70,000 रुपये तक की फीस देनी पड़ रही है। इसके अलावा, नए कोर्सेस में एडमिशन लेने वाले छात्रों को भी सही शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं मिल पा रहा है।
घोटाले का खुलासा
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा घोटाला यह है कि स्किल यूनिवर्सिटी के नाम पर कई लोगों को बिना योग्यता के नौकरियां दी गईं। इनमें कई लोगों के रिश्तेदार और करीबी शामिल थे। इसके अलावा, यूनिवर्सिटी की कोई अपनी बिल्डिंग नहीं है, और यह सिर्फ कागजों पर ही मौजूद है।
शिक्षकों की मांग
शिक्षकों ने नई दिल्ली सरकार से मांग की है कि पॉलिटेक्निक संस्थानों को फिर से पुराने स्वरूप में लाया जाए और शिक्षकों की नौकरियों को सुरक्षित किया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री और तकनीकी शिक्षा मंत्री से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है।
निष्कर्ष
यह घोटाला न केवल AAP सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे शिक्षा के नाम पर छात्रों और शिक्षकों के साथ खिलवाड़ किया गया है। अब यह देखना होगा कि नई सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।