बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina जल्द ही देश लौट रही हैं और इस बार उनकी वापसी प्रधानमंत्री के रूप में होगी। यह घोषणा आवामी लीग के एक वरिष्ठ नेता रब्बी आलम ने की है, जो अमेरिका में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। यह खबर बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाली है, खासकर तब जब देश में हाल के दिनों में राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई है।
Sheikh Hasina की वापसी का मतलब
रब्बी आलम ने कहा कि शेख हसीना की वापसी बांग्लादेश के लिए एक नई शुरुआत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी को गुमराह किया गया था, लेकिन अब वे समझ गए हैं कि उन्हें किस दिशा में जाना है। यह स्पष्ट है कि उनका इशारा अमेरिकी डीप स्टेट की तरफ था, जिसने शेख हसीना के खिलाफ छात्रों को भड़काने के लिए लाखों डॉलर खर्च किए थे।

अमेरिकी डीप स्टेट की भूमिका
अमेरिकी डीप स्टेट ने यूएस एड के माध्यम से बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ माहौल बनाया था। यह एजेंसी दुनिया भर में उन सरकारों का तख्ता पलट करवाती रही है, जिन्हें वह पसंद नहीं करती। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यूएस एड का प्रभाव कम हो गया है, और अब शेख हसीना को भारत और अमेरिका दोनों का समर्थन हासिल है।
भारत की भूमिका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेख हसीना को शरण देकर उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त किया है। रब्बी आलम ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल शेख हसीना को सुरक्षित यात्रा मार्ग मुहैया कराया, बल्कि उनकी वापसी के लिए राजनीतिक समर्थन भी दिया।
बांग्लादेश की सेना में बदलाव
बांग्लादेश की सेना में भी शेख हसीना के समर्थन में बदलाव देखे जा रहे हैं। सेना प्रमुख वाकर उज जमान, जो शेख हसीना के रिश्तेदार भी हैं, अब उनके समर्थन में खुलकर सामने आ रहे हैं। वहीं, हसीना विरोधी गुट के नेता लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान पर पाकिस्तान की आईएसआई के साथ मिलकर साजिश रचने के आरोप लगे हैं।
मोहम्मद यूनुस का भविष्य
मोहम्मद यूनुस, जो वर्तमान में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर हैं, उनके पास कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें अमेरिकी डीप स्टेट ने सत्ता में बिठाया था, लेकिन अब उनकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। आवामी लीग ने उन्हें पद छोड़ने की सलाह दी है, क्योंकि शेख हसीना की वापसी के साथ ही उनका शासन समाप्त हो जाएगा।
बांग्लादेश के लिए नई शुरुआत
शेख हसीना की वापसी बांग्लादेश के लिए एक नई शुरुआत होगी। उनके नेतृत्व में देश ने कई विकास के मील के पत्थर हासिल किए हैं। उनकी वापसी से न केवल बांग्लादेश की राजनीति में स्थिरता आएगी, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में भी नई गर्माहट आएगी।