माशी रिजवी की अनोखी कहानी
यह कहानी है मासी रिजवी की, जो आज भारत के सबसे सफल बिरयानी ब्रांड में से एक “Mashi Biryani” के मालिक हैं। माशी लखनऊ उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। माशी हमेशा से एक बड़ा बिसनेस करने के सपना देखते थे।
माशी के सपनों की शुरुआत
माशी रिजवी लखनऊ शहर के एक साधारण परिवार से थे, जिनको पढ़ाई में रुचि कम थी, लेकिन उनका सपना था अपने लिए एक बड़ा ब्रांड बनाने का और उनका वह सपना उन्हें हमेशा प्रेरित करता था।
माशी का संघर्ष
माशी रिजवी का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। पिता की मेडिकल स्टोर की दुकान थी जिसकी आमदनी से घर का खर्चा मुश्किल से चला था। माशी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए लखनऊ से मुंबई और मुंबई से दुबई तक का सफर तय किया। लखनऊ से मुंबई जाकर डिजिटल मार्केटिंग और डाटा एंट्री का काम सीखने लगे और इस दौरान अपने सपनों को आकार देना शुरू कर दिया। इसके बाद दुबई जाकर उन्होंने एक एडवरटाइजिंग कंपनी में काम किया, जहां उनकी मेहनत की वजह से उन्हें 50 लाख रुपए सालाना की नौकरी मिल गई।
सपनों को पूरा करने के लिए बड़ा फैसला
माशी रिजवी जब दुबई में पूरी तरह सेट हो चुके थे, तब 2016 में उनके पिताजी की बीमारी की वजह से मजबूरी में उन्हें अपने देश लौटना पड़ा। दुबई की नौकरी छोड़कर उन्होंने लखनऊ में कुछ नया करने का फैसला किया। उनके पिता में Hyderabadi Biryani बनाने का हुनर था। इसी हुनर ने उन्हें फूड इंडस्ट्री में कदम रखने का विचार दिया। माशी ने अपने घर के पास 1000 स्क्वायर फीट की जमीन पर बिरयानी बनाना शुरू किया, उन्होंने खुद प्याज काटने से लेकर मसाले तैयार करने तक हर प्रक्रिया को बारीकी से सीखा।
माशी बिरयानी ब्रांड का निर्माण

माशी रिजवी ने बिरयानी का नाम रखा “Mashi Biryani” शुरुआत में उन्होंने बिरयानी बनाकर दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच बाटकर उनसे फीडबैक लिया। इसके बाद उन्होंने अपनी शॉप खोली और घर-घर जाकर मार्केटिंग की। उनके मेहनत लगन और अलग तरीके से काम करने करने के नतीजे की वजह से उनका ब्रांड धीरे-धीरे लोगों को पसंद आने लगा और सबका लोकप्रिय बन गया।
सफलता
आज की सफलता है कि मासी रिजवी की “Mashi Biryani” उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बिरयानी ब्रांड में से एक है। उनकी बिरयानी न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। दुबई, कतर और अन्य देशों तक उनके ग्राहक बिरयानी लेकर जाते हैं। माशी का ब्रांड करोड़ों का कारोबार कर रहा है और वह सात अंकों का टैक्स सरकार को अदा कर रहे हैं।
प्रेरणा और सीख
माशी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपने बड़े हो या छोटे उन्हें साकार करने के लिए मेहनत और लगन जरूरी है। मेहनत और दृढ़ता से हर बड़े से बड़े सपने को पूरा किया जा सकता है। माशी ने साबित कर दिया कि यदि आप ₹500 की नौकरी करते हैं तो ₹5000 का काम करके अपनी काबिलियत साबित करें यही मानसिकता उन्हें कामयाबी के शिखर तक ले गई।