दर्पण छवि में हाथ से लिखीं अद्भुत पुस्तकें, Meet Mirror Man of India

पियूष गोयल: दर्पण छवि (Mirror Image) में हाथ से लिखी 17 पुस्तकें

Meet Mirror Man of India

दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिनकी कला और मेहनत लोगों को Surprise कर देती है। ऐसे ही एक कलाकार हैं पीयूष गोयल, जिन्होंने अपनी अद्भुत लिखने की कला से दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। उनकी especiality यह है कि वे उल्टे अक्षरों में मिरर इमेज शैली में पुस्तकें लिखते हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए एक Mirror की जरूरत पड़ती है। उनकी रचनाओं ने न केवल लेखन के नए आयाम स्थापित किए हैं, बल्कि यह भी साबित किया है कि जुनून और लगन से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

Mirror Man of India: His Writing Journey

उल्टे अक्षरों में लिखी भागवत गीता

Mirror Image of Bhagwad Gita

पीयूष गोयल ने अपनी पहली पुस्तक भागवत गीता को मिरर इमेज शैली में लिखा। यह एक ऐसी शैली है, जिसमें लिखे हुए शब्द उल्टे होते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए शीशे की आवश्यकता होती है। इस पुस्तक को उन्होंने हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखा। 700 श्लोकों वाले इस महान ग्रंथ को लिखने में उनकी लगन और समर्पण स्पष्ट झलकता है। उनकी यह कृति आध्यात्मिकता और कर्म के महत्व को समझाने का एक नायाब उदाहरण है।

सुई से लिखी ‘मधुशाला’

Madhushala by Piyush Goel

हरिवंश राय बच्चन जी की Timeless Creation ‘मधुशाला’ को पीयूष गोयल ने सुई की मदद से लिखा। इस काम को पूरा करने में उन्हें लगभग ढाई महीने लगे। यह दुनिया की पहली ऐसी पुस्तक है, जिसे सुई से मिरर इमेज शैली में लिखा गया है। इस अनोखे प्रयास से उन्होंने दिखाया कि लेखन केवल कला नहीं, बल्कि एक साधना भी हो सकती है।

मेंहदी और कील से लिखी रचनाएं

मेंहदी से गीतांजलि

Meet Mirror Man of India Piyush Goel

रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि, जिसने नोबेल पुरस्कार जीता था, को पीयूष गोयल ने मेंहदी के कोन से लिखा। यह अद्वितीय प्रयास लेखन के प्रति उनके गहरे जुनून को दर्शाता है। 103 अध्यायों वाली इस पुस्तक को पूरा करने में उन्हें 17 मेंहदी के कोन और दो नोटबुक्स का इस्तेमाल करना पड़ा।

कील से ‘पीयूष वाणी’

Meet Mirror Man of India

अपनी रचनात्मकता को और भी ऊंचाई तक ले जाते हुए, पीयूष ने अपनी पुस्तक पीयूष वाणी को कील की मदद से एल्यूमिनियम शीट पर लिखा। इस काम में धैर्य और परिश्रम की पराकाष्ठा नजर आती है।

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कार्बन पेपर से लिखी पंचतंत्र

Meet Mirror Man of India Piyush Goel

आचार्य विष्णु शर्मा की कालजयी रचना पंचतंत्र को पीयूष गोयल ने कार्बन पेपर का उपयोग करके लिखा। उन्होंने पेपर के नीचे कार्बन पेपर लगाकर उल्टे अक्षरों में लिखा, जिससे पेज के दूसरी ओर शब्द सीधे दिखाई देते हैं। यह तकनीकी लेखन का एक अनोखा उदाहरण है।

पीयूष गोयल का जीवन और प्रेरणा

10 फरवरी 1967 को जन्मे पीयूष गोयल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। एक दुर्घटना के बाद, जब उन्हें ठीक होने में नौ महीने लगे, तो उन्होंने लेखन की ओर रुख किया। उनकी प्रेरणा का स्रोत श्रीमद्भगवद्गीता है, जिसने उनके जीवन को नया अर्थ दिया।

उनकी अन्य रचनाएं

पीयूष गोयल ने न केवल भागवत गीता और मधुशाला लिखी, बल्कि श्री दुर्गा सप्तशती, सुंदरकांड, और आरती संग्रह जैसी कई अन्य पुस्तकें भी रची हैं। इन रचनाओं में आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्यों का अद्भुत समावेश है।

पीयूष गोयल की उपलब्धियां और योगदान

  1. दुनिया की पहली मिरर इमेज शैली की पुस्तक भागवत गीता के रचनाकार।
  2. सुई, मेंहदी, कील और कार्बन पेपर जैसे अद्वितीय माध्यमों से किताबें लिखना।
  3. उनकी 9 पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
  4. कला और लेखन के प्रति उनकी अटूट निष्ठा लोगों को प्रेरित करती है।

पीयूष गोयल का जीवन और उनकी रचनाएं यह सिखाती हैं कि कोई भी कार्य असंभव नहीं है, यदि उसमें लगन और जुनून हो। उनकी पुस्तकों ने न केवल लेखन की नई विधाएं प्रस्तुत कीं, बल्कि यह भी दिखाया कि इंसानी दिमाग और कला की कोई सीमा नहीं होती।

FAQs

पीयूष गोयल ने सबसे पहली पुस्तक कौन-सी लिखी?

उन्होंने अपनी पहली पुस्तक भागवत गीता को मिरर इमेज शैली में लिखा।

सुई से लिखी गई ‘मधुशाला’ में कितना समय लगा?

सुई से मधुशाला लिखने में लगभग ढाई महीने का समय लगा।

पीयूष गोयल किस पेशे से जुड़े हैं?

वे मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा holder हैं और एक MNC में काम कर चुके हैं।

पीयूष गोयल की लेखन शैली की क्या खासियत है?

उनकी खासियत यह है कि वे मिरर इमेज शैली में लिखते हैं, जिसमें शब्द उल्टे होते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए दर्पण की जरूरत होती है।